Last updated on : 08 Apr, 2025
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गोखरू (Gokhru) एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है, जो हजारों वर्षों से विभिन्न बीमारियों के उपचार में उपयोग की जाती रही है। इसका वैज्ञानिक नाम Tribulus Terrestris है। यह छोटे कांटेदार फलों और पीले फूलों वाले पौधे से प्राप्त होती है। गोखरू का उपयोग विशेष रूप से शरीर की कमजोरी को दूर करने, पुरुषों की शक्ति बढ़ाने और किडनी संबंधी समस्याओं के उपचार में किया जाता है। इस लेख में आपके लिए गोखरू की संपूर्ण जानकारी दी गई है। गोखरू के फायदे पढ़ने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
गोखरू एक औषधीय पौधा है, जो आयुर्वेद और हर्बल चिकित्सा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह एक कांटेदार पौधा होता है, जो आमतौर पर सूखे और रेतीले इलाकों में पाया जाता है। इसके फल छोटे, कांटेदार और कठोर होते हैं, जो कई स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसे प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन बूस्टर भी माना जाता है, जो ऊर्जा और सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। यह जड़ी-बूटी विशेष रूप से गुर्दे, मूत्र संबंधी समस्याओं, हृदय रोगों और पुरुषों की शक्ति बढ़ाने में उपयोगी मानी जाती है।
गोखरू एक ऐसी औषधीय जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा में वर्षों से किया जाता आ रहा है। इसलिए गोखरू के फायदे जानकर आप इसका उपयोग अपने जीवन में भी कर सकेंगे, जो इस प्रकार हैं –
गोखरू सिरदर्द को प्राकृतिक रूप से कम करने में मदद करती है। इसमें मौजूद सूजन-रोधी और दर्दनिवारक गुण मांसपेशियों को आराम देते हैं और तनावजनित सिरदर्द को दूर करने में सहायक होते हैं। गोखरू काढ़ा पीने से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति दिमाग तक सही तरीके से पहुंचती है और सिरदर्द में राहत मिलती है। इसे शहद या अदरक के साथ मिलाकर पीना अधिक फायदेमंद होता है।
गोखरू चूर्ण आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है, जो विशेष रूप से सांस संबंधी समस्याओं में फायदेमंद होती है। इसमें मौजूद प्राकृतिक गुण श्वसन तंत्र को मजबूत करते हैं और फेफड़ों में जमे बलगम को साफ करने में मदद करते हैं। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और ब्रोन्कोडायलेटर गुण दमा के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं।
गोखरू का काढ़ा पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करता है। इसमें मौजूद प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पेट की गैस, अपच और एसिडिटी को कम करते हैं। इसे बनाने के लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच गोखरू उबालें और छानकर पी लें। रोजाना इसका सेवन करने से पेट साफ रहता है और भोजन आसानी से पचता है। यह काढ़ा शरीर को डिटॉक्स करने में भी सहायक है। स्वास्थ्य लाभ के लिए इसे गर्म ही पिएं।
गोखरू एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो दस्त रोकने में मददगार होती है। इसके प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पेट की समस्याओं को कम करने में सहायक होते हैं। दस्त की स्थिति में गोखरू का काढ़ा या पाउडर गुनगुने पानी के साथ लेना लाभकारी हो सकता है। यह पेट की मांसपेशियों को आराम देता है और पाचन को मजबूत करता है।
गोखरू एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो मूत्रकृच्छ्र (पेशाब में जलन, रुकावट या संक्रमण) जैसी समस्याओं में बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इसके मूत्रवर्धक गुण शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकालने में मदद करते हैं और किडनी को स्वस्थ रखते हैं। गोखरू का काढ़ा या पाउडर लेने से पेशाब खुलकर आता है और जलन में राहत मिलती है। यह प्रोस्टेट की समस्याओं और मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) में भी लाभकारी है।
गोखरू का सेवन, पथरी (अश्मरी) की समस्या में बेहद लाभदायक माना जाता है। इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक (डाययूरेटिक) गुण होते हैं, जो शरीर से अतिरिक्त कैल्शियम और मिनरल्स को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जिससे पथरी घुलकर बाहर आ सकती है। रोज़ाना गोखरू का काढ़ा पीने या इसका चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से गुर्दे और मूत्राशय की सफाई होती है, जिससे पथरी बनने की संभावना भी कम होती है।
गर्भाशय शूल यानी यूटेरस का दर्द महिलाओं में एक आम समस्या है, जो मासिक धर्म, गर्भावस्था या किसी अन्य स्त्री रोग के कारण हो सकता है। आयुर्वेद में गोखरू को इस दर्द से राहत देने वाला एक बेहतरीन हर्ब माना गया है। गोखरू में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-स्पास्मोडिक गुण होते हैं, जो गर्भाशय की ऐंठन को कम करते हैं और सूजन को घटाते हैं। इसे पानी में उबालकर या चूर्ण के रूप में सेवन करने से दर्द में आराम मिलता है।
आमवात (रूमाटाइड आर्थराइटिस) के कारण जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। प्राकृतिक औषधियों में गोखरू एक प्रभावी जड़ी-बूटी है, जो इसके लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकती है। गोखरू में एंटी-इंफ्लेमेटरी और डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं, जो जोड़ों की अकड़न और दर्द को कम करते हैं। इसे गुनगुने पानी या दूध के साथ लेने से सूजन घटती है और मूत्र प्रणाली मजबूत होती है, जिससे शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।
गोखरू एक औषधीय जड़ी-बूटी है जो चर्मरोग (त्वचा रोग) में बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इसके एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण त्वचा पर होने वाले संक्रमण, खुजली, दाद और एक्जिमा जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक होते हैं। गोखरू का सेवन शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालकर रक्त को शुद्ध करता है, जिससे त्वचा रोगों में सुधार होता है। इसे काढ़े, चूर्ण या लेप के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
गोखरू (Tribulus Terrestris) आयुर्वेद में पुरुषों की प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसमें मौजूद सैपोनिन्स टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, जिससे शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता में सुधार होता है। यह शरीर की कमजोरी दूर कर ऊर्जा बढ़ाने में सहायक होता है। गोखरू का सेवन दूध या पानी के साथ करने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
गोखरू एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो ज्वर (बुखार) में लाभकारी मानी जाती है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-पायरेटिक गुण शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। गोखरू का काढ़ा या चूर्ण सेवन करने से बुखार में कमजोरी कम होती है और इम्युनिटी बढ़ती है। यह पेशाब के जरिए शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है, जिससे संक्रमण कम होता है।
रक्तपित्त, यानी कान और नाक से खून बहने की समस्या, अक्सर शरीर में अधिक गर्मी, रक्त अशुद्धि या कमजोरी के कारण होती है। आयुर्वेद में गोखरू (Tribulus Terrestris) को एक प्रभावी जड़ी-बूटी माना गया है, जो रक्त को शुद्ध करने और शरीर को ठंडक देने में मदद करती है। इसका काढ़ा या चूर्ण शहद के साथ लेने से रक्तस्राव रुक सकता है। गोखरू मूत्रवर्धक गुणों से भरपूर होता है, जिससे शरीर की गर्मी संतुलित होती है और रक्त संचार बेहतर होता है।
गोखरू एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। इसे पाउडर, काढ़ा या कैप्सूल के रूप में लिया जा सकता है। आमतौर पर, 1-2 चम्मच गोखरू पाउडर को गुनगुने पानी या शहद के साथ सुबह-शाम लेने की सलाह दी जाती है। यह मूत्र संबंधी समस्याओं, गठिया और शरीर की कमजोरी को दूर करने में मदद करता है।
गोखरू एक अद्भुत आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। यह किडनी, हृदय, यौन स्वास्थ्य और संपूर्ण शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है। यदि सही मात्रा और सही तरीके से इसका सेवन किया जाए, तो यह शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने में मदद कर सकता है। आशा है कि इस लेख में आपको गोखरू (Gokhru in Hindi) की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी, इसी प्रकार के अन्य लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट के साथ बने रहे।
गोखरू एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो शरीर को कई लाभ पहुंचाती है। यह किडनी को मजबूत करता है और पथरी की समस्या में राहत देता है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने और स्त्रियों के हार्मोन संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। गठिया व जोड़ों के दर्द को कम करने में सहायक है।
यह टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने, मांसपेशियों की ताकत सुधारने और ऊर्जा स्तर बढ़ाने में मदद करता है। इसके सेवन से यौन स्वास्थ्य, प्रजनन क्षमता और मूत्र संबंधी समस्याओं में भी लाभ मिलता है। यह शरीर में रक्त संचार को बेहतर बनाकर स्टैमिना बढ़ाता है।
गोखरू का असर व्यक्ति की सेहत और समस्या पर निर्भर करता है। आमतौर पर, मूत्र विकार, सूजन और जोड़ों के दर्द में इसका असर 7-15 दिनों में दिखने लगता है, जबकि शारीरिक ताकत बढ़ाने में 3-4 हफ्ते लग सकते हैं।
गोखरू का पानी पीने के लिए एक गिलास पानी में रातभर भिगोया हुआ गोखरू छानकर सुबह खाली पेट पिएं। यह किडनी, यूरिन इंफेक्शन और जोड़ों के दर्द में फायदेमंद होता है। अधिक लाभ के लिए इसे रोजाना सीमित मात्रा में लें और अधिक सेवन से बचें।
गोखरू एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो मूत्र संक्रमण, किडनी स्टोन, जोड़ों के दर्द और पुरुषों की प्रजनन क्षमता बढ़ाने में सहायक होती है। यह शरीर में सूजन कम करने और हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में भी मदद करती है।
गोखरू का सेवन आमतौर पर 250-500 मिलीग्राम पाउडर या 1-2 ग्राम काढ़े के रूप में दिन में एक से दो बार किया जा सकता है।
गोखरू की तासीर गर्म और शीतल के बीच संतुलित मानी जाती है। आयुर्वेद में इसे मूत्र संबंधी समस्याओं, जोड़ों के दर्द और शक्ति बढ़ाने के लिए उपयोगी माना गया है।
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