Last updated on : 03 Mar, 2025
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जब किसी महिला के मासिक धर्म खत्म होने की उम्र पास आ जाती है और उसे 12 महीने तक कोई मासिक धर्म नहीं होता तो इस स्थिति को चिकित्सकीय भाषा में मेनोपॉज कहा गया है। यह एक प्राकृतिक बायोलॉजिकल प्रक्रिया है और इसकी कोई दवाई या इलाज नहीं है । आमतौर पर यह 40s के अंत या 50s की शुरुआत में होता है। इस स्थिति में महिलाओं में कई बदलाव होते है जो कि मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप में होते है। इस ब्लॉग के माध्यम से मेनोपॉज क्या होता है, इसके लक्षण और कारगर उपायों के बारे में चर्चा करेंगे।
मेनोपॉज महिलाओं में होने वाली एक शारीरिक स्थिति है जो अधिकतर 45 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में होता है। यदि किसी महिला को पूरे एक साल यानि 12 महीने मासिक धर्म नहीं होता है तो यह माना जाता है की उसका मेनोपॉज शुरू हो गया है। इस स्थिति को रजोनिवृति भी कहा जाता है। मेनोपॉज के लक्षण हर महिला के लिए अलग अलग होते है।
महिलाओं को ज़िन्दगी की कठोर परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है इसीलिए वह सशक्त और काफी सहनशील होती हैं । इसी कड़ी में एक चरण है – मेनोपॉज और प्री/पोस्ट मेनोपॉजल स्टेज। इसमें 3 स्टेज या चरण होते है जो कि निम्नलिखित होते हैं:
प्री-मेनोपॉज स्टेज के दौरान, महिला अपने रिप्रोडक्टिव साइकिल(प्रजनन वर्षों) में होती है और उसे नियमित पीरियड्स आते हैं। इस स्टेज के दौरान, किसी भी तरह के मेनोपॉज लक्षणों का अनुभव नहीं होता है।
मेनोपॉज और प्रीमेनोपॉज़ स्टेज के बीच की अवधि को पेरीमेनोपॉज़ स्टेज कहा जाता है। लगभग 40 की उम्र में महिला इस स्टेज में प्रवेश करती है और यह कई वर्षों तक बनी रहती है। इस अवधि के दौरान हार्मोनल परिवर्तन आते हैं और अंडाशय धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। इस अवस्था के कुछ लक्षण कुछ इस प्रकार होते हैं:
जब पीरियड्स लगातार 12 महीनों की अवधि के लिए रुक जाते हैं तो इस स्टेज को एक महिला की पोस्टमेनोपॉजल स्टेज माना जाता है। अब वो महिला अपने शेष जीवन इसी अवस्था में रहेंगी।
मेनोपॉज के निम्नलिखित लक्षण होते हैं:
मेनोपॉज एक प्राकृतिक एवं बायोलॉजिकल प्रक्रिया है जिसका कोई सटीक कारण नहीं है। चिकित्सकीय अध्ययन में बताया गया है कि जन्म लेते समय ही महिलाओं के ओवरीज़ में एग्स मौजूद होते है। इनके साथ ही दो होर्मोनेस -प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन होते है जो पीरियड्स और ओव्यूलेशन को नियंत्रित करते है।
मेनोपॉज महिला जीवन का एक प्राकृतिक हिस्सा है जो आमतौर पर 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच होता है। यह तब होता है जब महिला के अंडाशय (ovaries) से अंडाणु का उत्पादन बंद हो जाता है और मासिक धर्म (periods) रुक जाते हैं। इस दौरान, महिला के शरीर में दो प्रमुख हार्मोन, एस्त्रोजन (estrogen) और प्रोजेस्ट्रोन (progesterone) का स्तर घटने लगता है। इसके परिणामस्वरूप, महिलाओं को गर्मी के झोंके, मूड स्विंग्स, नींद की समस्या और अन्य शारीरिक और मानसिक बदलाव हो सकते हैं। यह बदलाव महिला के शरीर के हार्मोनल संतुलन में परिवर्तन के कारण होते हैं।
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मेनोपॉज के लक्षण में सबसे गंभीर लक्षण है यौन संबंधो पर गहरा असर पड़ना। इसकी प्रमुख वजह है – एस्ट्रोजन हॉर्मोन के स्तर में कमी। इस स्थिति में महिलाओ में हो रहे शारीरिक बदलाव के साथ साथ भावनात्मक बदलाव भी होता है। इस हॉर्मोन की कमी से महिलाओं की उत्तेजना पर प्रभाव पड़ता है जिससे यौन गतिविधि असहज हो सकती है। साथ ही वैजाइनल कैनाल में सूखापन और लोच भी कम हो जाती है जिसके कारणवश महिलाओं में से एक तिहाई से अधिक यौन समस्याओं का सामना करती हैं।
मेनोपॉज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। कई लक्षण समय के साथ दूर हो जाते हैं। लेकिन अगर वे समस्याएँ पैदा कर रहे हैं तो उपचार आपको बेहतर महसूस करने में मदद कर सकते हैं। कुछ आम इलाज के तरीके है-
प्राकृतिक रूप से जब महिलाओं में पीरियड्स साइकिल बंद हो जाते हैं तो उस स्थिति को मेनोपॉज कहते हैं। महिलाओं में यह अवस्था शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत सारे बदलाव लाते हैं। इसमें आपको कई तरह की परेशानियां हो सकती है जिससे आपको घबराना नहीं है। यदि आप किसी कारणवस गंभीर समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं तो सुचारू रूप से इसका इलाज कराएं।
महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान कई लक्षण देखने को मिलते हैं। इसमें सबसे आम लक्षण पीरियड्स का अनियमित हो जाना है। इसके अलावा, रात को अधिक पसीना आना, नींद न आना, हॉट फ्लैशेस महसूस होना और ब्रेस्ट में दर्द जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। हार्मोनल बदलावों के कारण प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट आती है, जिससे सेक्स करने की इच्छा में कमी आ सकती है। इसके साथ ही, कुछ महिलाओं में वजन बढ़ने या घटने की समस्या भी देखने को मिलती है।
Menopause महिलाओं में 40-45 की उम्र के आस पास शुरु हो जाता है।
मेनोपॉज के दौरान गर्मी के झोंके, नींद की समस्या, मूड स्विंग्स, योनि का सूखापन, जोड़ो का दर्द, और वजन बढ़ना जैसी समस्याएँ होती हैं, जो हार्मोनल बदलावों के कारण होती हैं।
एस्ट्रोजन हॉर्मोन के स्तर में गिरावट आने से मेनोपॉज के बाद सेक्स की इच्छा में कमी आ जाती है।
नहीं, मेनोपॉज की स्थिति में ओवरीज़ में अंडाणु उत्पन्न होने बंद हो जाते हैं जिसकी वजह से मेनोपॉज के बाद महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं हो सकती है।
पीरियड्स, मासिक धर्म चक्र का हिस्सा होता है जबकि मेनोपॉज़, मासिक धर्म चक्र का आखिरी चरण होता है।
मेनोपॉज के बाद पीरियड्स फिर से नहीं शुरू किये जा सकते है।
मेनोपॉज के दौरान, महिलाओं को कई लक्षणों का सामना करना पड़ता है जिनमें से वजन बढ़ना या पेट बढ़ना भी शामिल है।
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