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अस्थमा कैसे होता है? जानें, इसके प्रकार, लक्षण और उपचार (Asthma Symptoms, Causes and Treatment in Hindi)

अस्थमा कैसे होता है? जानें, इसके प्रकार, लक्षण और उपचार (Asthma Symptoms, Causes and Treatment in Hindi)

Last updated on : 26 Dec, 2024

Read time : 9 min

अस्थमा एक गंभीर सांस की बीमारी है जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के हर आयु वर्ग को प्रभावित कर सकती है। अस्थमा के लक्षणों को पहचानना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह एक ऐसी दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति के वायुमार्ग (एयरवे) सूज जाते हैं और सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके कारण व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने में बाधा महसूस हो सकती है। 

यदि अस्थमा का समय रहते इलाज और देखभाल न की जाए तो यह खतरनाक साबित हो सकता है। इस ब्लॉग में हम अस्थमा क्या है, इसके विभिन्न प्रकार, लक्षण, कारण और उपचार के साथ-साथ इसे रोकने के उपायों की चर्चा विस्तार से करेंगे।

अस्थमा क्या है? (What is Asthma in Hindi)

अस्थमा एक श्वसन तंत्र विकार है जिसमें वायुमार्ग सूज जाते हैं और बलगम का उत्पादन बढ़ जाता है। इस स्थिति में श्वसन प्रणाली के एयरवे संकुचित हो जाते हैं जिससे हवा के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है। यह समस्या कभी-कभी हल्की होती है और दवाओं से ठीक हो जाती है लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर रूप ले सकती है और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है। अस्थमा के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों को यह केवल मौसम बदलने या एलर्जी के कारण होता है जबकि कुछ लोगों को इसके गंभीर और लगातार अटैक आते हैं।

अस्थमा के प्रकार क्या हैं? (Asthma Types in Hindi)

अस्थमा को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है जो इसके लक्षणों और कारणों के आधार पर अलग-अलग होते हैं।

1. इंटरमिटेंट अस्थमा (Intermittent Asthma)

इस प्रकार के अस्थमा में लक्षण अस्थायी और हल्के होते हैं। आमतौर पर यह लंबे अंतराल पर होता है और व्यक्ति को अधिक परेशानी नहीं देता। इसे सही देखभाल और नियमित दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है।

2. लगातार अस्थमा (Persistent Asthma)

यह अस्थमा का गंभीर रूप है जिसमें लक्षण नियमित रूप से होते हैं। इसमें व्यक्ति को हर दिन सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और शारीरिक गतिविधि भी प्रभावित हो सकती है। यह हल्के, मध्यम और गंभीर तीन उप-श्रेणियों में आता है।

3. एलर्जिक अस्थमा (Allergic Asthma)

यह अस्थमा तब होता है जब व्यक्ति को किसी विशेष एलर्जी जैसे धूल, परागकण, या जानवरों के बालों से परेशानी होती है। यह अधिकतर बच्चों और किशोरों में देखा जाता है।

4. नॉन-एलर्जिक अस्थमा (Non-Allergic Asthma)

यह अस्थमा बाहरी एलर्जी के बजाय ठंड, व्यायाम, तनाव या हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है।

अस्थमा के लक्षण (Asthma Symptoms in Hindi)

अस्थमा के लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है ताकि इसे शुरुआती चरण में ही नियंत्रित किया जा सके। इसके सामान्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:

  • सांस लेने में कठिनाई: यह अस्थमा का सबसे प्रमुख लक्षण है।
  • सीने में जकड़न: व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है जैसे छाती पर दबाव पड़ रहा हो।
  • घरघर की आवाज (Wheezing): सांस लेते समय गले से सीटी जैसी आवाज आती है।
  • रात में खांसी: सोते समय या सुबह के वक्त खांसी की समस्या अधिक होती है।
  • थकान महसूस होना: शारीरिक गतिविधियों के दौरान जल्दी थकावट होती है।

अस्थमा के कारण (Asthma Causes in Hindi)

अस्थमा के कारणों को समझने से इसके  रोक-थाम  में मदद मिल सकती है। इसके सामान्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. एलर्जी: धूल, परागकण, जानवरों के बाल या फंगस के कारण एलर्जी होना।
  2. वायु प्रदूषण: वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं से अस्थमा के अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
  3. आनुवंशिकता: यदि परिवार में किसी को अस्थमा है तो इसकी संभावना अधिक होती है।
  4. सिगरेट का धुआं: धूम्रपान करने या पास में धुआं होने से।
  5. मौसमी बदलाव: ठंडी हवा या गर्मियों के मौसम में एलर्जी।
  6. तनाव और मानसिक दबाव: तनाव अस्थमा को बढ़ा सकता है।

अस्थमा का निदान कैसे किया जाता है?(Diagnosis of Asthma in Hindi)

अस्थमा का सटीक निदान करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांच करते हैं:

  • स्पाइरोमेट्री (Spirometry): यह टेस्ट फेफड़ों की कार्यक्षमता को मापने के लिए किया जाता है।
  • पीक फ्लो मीटर टेस्ट (Peak Flow Meter Test): यह सांस की गति को मापने का उपकरण है।
  • एलर्जी टेस्ट (Allergy Test): यह पता लगाने के लिए कि व्यक्ति को किस चीज से एलर्जी है।
  • चेस्ट एक्स-रे: यह फेफड़ों की स्थिति का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है।

अस्थमा का इलाज क्या है? (Asthma Treatment in Hindi)

अस्थमा का इलाज विभिन्न तरीकों जैसे दवाओं, लाइफस्टाइल में बदलाव और घरेलू उपायों के जरिए किया जाता है।

1. दवाएं

  • इन्हेलर (Inhaler): यह अस्थमा के अटैक के दौरान सबसे तेज राहत प्रदान करता है।
  • स्टेरॉयड (Steroids): वायुमार्ग की सूजन कम करने के लिए।
  • एंटी-एलर्जी मेडिकेशन: एलर्जी के कारण अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए।

2. लाइफस्टाइल में बदलाव

  • नियमित व्यायाम करें, लेकिन ज्यादा भारी व्यायाम से बचें।
  • धूल और धुएं से बचने के लिए मास्क पहनें।
  • तनाव को कम करने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करें।

3. घरेलू इलाज

अस्थमा के लिए कुछ घरेलू उपाय भी कारगर हो सकते हैं।

अस्थमा के लिए घरेलू इलाज (Home Remedies for Asthma in Hindi)

अस्थमा का घरेलू इलाज कुछ प्राकृतिक सामग्रियों की मदद से किया जा सकता है लेकिन यह घरेलू नुस्खे सिर्फ तभी काम में आ सकते हैं जब अस्थमा के लक्षण सामान्य रूप से कम हो। अगर लक्षण तीव्र हो तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। अस्थमा के इलाज के लिए निम्नलिखित घरेलू तरीके काम में आ सकते हैं:

1. अदरक

अदरक में सूजनरोधी गुण होते हैं। इसे चाय में डालकर सेवन करने से फेफड़ों को आराम मिलता है। 

2. लहसुन

लहसुन का सेवन भी फेफड़ों की सूजन को कम करने में सहायक होता है। लहसुन फेफड़ों से बलगम साफ करने में मदद करता है। इसे कच्चा या पका कर खाया जा सकता है। 

3. नींबू और शहद

नींबू में विटामिन सी और शहद में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इनका मिश्रण अस्थमा को नियंत्रित करता है।

4. तुलसी

तुलसी की पत्तियों का सेवन करने से भी अस्थमा के लक्षणों में राहत मिलती है। इसे चाय या काढ़े के रूप में लिया जा सकता है।

5. स्टीम इनहेलेशन

स्टीम इनहेलेशन फेफड़ों को खोलने और बलगम को ढीला करने में मदद करता है जिससे नाक और वायुमार्ग में जमा बलगम निकल जाता है।

अस्थमा में क्या परहेज करना चाहिए?

किसी भी बीमारी को नष्ट करने के लिए या कम करने के लिए परहेज अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। अस्थमा के मरीजों को भी परहेज की आवश्यकता होती है। अस्थमा में निम्नलिखित चीजों से परहेज करना चाहिए:

  • धूल, धुआं और परागकण के संपर्क में आने से बचना चाहिए। 
  • ठंडी चीजें जैसे आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक्स से दूरी बनाई जानी चाहिए क्योंकि ये गले में कफ जमने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • अधिक शारीरिक मेहनत से बचना भी जरूरी है क्योंकि ये सांस को फुला देते हैं जिससे फेफड़ों की समस्या बढ़ सकती है। ।
  • मानसिक तनाव और चिंता भी बीमारी को बढ़ाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसलिए किसी भी प्रकार के तनाव और चिंता से दूर रहना चाहिए।

अस्थमा के लक्षणों से बचाव (Prevention of Asthma in Hindi)

अस्थमा को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • घर की साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • धूम्रपान और वायु प्रदूषण से बचें।
  • नियमित व्यायाम करें लेकिन डॉक्टर की सलाह से।
  • एलर्जी उत्पन्न करने वाले कारकों से बचें।

अस्थमा के लिए डॉक्टर से कब मिलें?

यदि आपको निम्नलिखित समस्याएं महसूस हो रही हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:

  • सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई महसूस होना।
  • दवाओं के बावजूद लक्षणों में सुधार न होना।
  • बार-बार अस्थमा के अटैक आना।
  • सीने में लगातार दर्द होना ।

निष्कर्ष (Conclusion)

अस्थमा एक दीर्घकालिक लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली बीमारी है। इसके लक्षणों को पहचानना, कारणों को समझना और सही समय पर उपचार करना आवश्यक है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और दवाओं का सही उपयोग करके अस्थमा के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है और यदि इसके लक्षण महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है। 

Frequently Asked Question (FAQs)

अस्थमा की शुरुआत कैसे होती है?

अस्थमा एलर्जी, प्रदूषण या वंशानुगत कारणों से हो सकता है।

अस्थमा पूरी तरह से ठीक हो सकता है क्या?

नहीं, लेकिन इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है।

अस्थमा और दमा में क्या अंतर है?

अस्थमा और दमा एक ही स्थिति के दो अलग-अलग नाम हैं।

अस्थमा के 3 प्रकार कौन से हैं?

इंटरमिटेंट अस्थमा, लगातार अस्थमा और एलर्जिक अस्थमा।

अस्थमा का टेस्ट कैसे होता है?

स्पाइरोमेट्री और पीक फ्लो मीटर टेस्ट से।

क्या बिना दवा के अस्थमा ठीक हो सकता है?

घरेलू उपाय मदद कर सकते हैं लेकिन दवा भी जरूरी होती है।

अस्थमा के अटैक में क्या होता है?

वायुमार्ग सिकुड़ जाते हैं जिससे सांस लेने में परेशानी होती है।

ज्यादा सांस फूलने पर क्या करें?

इन्हेलर का उपयोग करें और डॉक्टर से संपर्क करें।

गले से घरघर की आवाज क्यों आती है?

वायुमार्ग में बलगम भरने के कारण।

क्या अस्थमा 100% ठीक हो सकता है?

अस्थमा पूरी तरह ठीक नहीं होता लेकिन लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

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