Last updated on : 27 Jan, 2025
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ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस वह वायरस है जो एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम का कारण बनता है। जब कोई व्यक्ति एचआईवी के लक्षण से संक्रमित होता है, तो यह वायरस शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को हमला करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है। जैसे-जैसे यह प्रणाली कमजोर होती जाती है, व्यक्ति को जानलेवा संक्रमण और कैंसर होने का खतरा होता है। यह वायरस और उसका हमला एड्स का कारण बन जाते है । एक बार जब किसी व्यक्ति में वायरस हो जाता है, तो यह जीवन भर शरीर के अंदर रहता है।
एचआईवी, यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस, एक ऐसा वायरस है जो आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है। यह वायरस आपके शरीर की उन कोशिकाओं पर हमला करता है जो आपको बीमारियों से बचाने का काम करती हैं- जैसे की वाइट ब्लड सेल्स । समय के साथ, एचआईवी संक्रमण एड्स में बदल सकता है।
एड्स, यानी एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम, एचआईवी संक्रमण का अंतिम चरण है। जब एचआईवी आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह से कमजोर कर देता है, तब एड्स होता है। एड्स होने पर आप बहुत सारी बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं, क्योंकि आपका शरीर उनसे लड़ने में सक्षम नहीं होता है।
एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो एड्स सहित कई अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। एचआईवी का इलाज जानने से पहले यह जानना जरुरी है की एचआईवी के लक्षण फैलते कैसे है ? एचआईवी वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में इन तरीकों से फैलता है:
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के शरीर में वायरस हो सकता है लेकिन वह स्वस्थ दिखाई देता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एड्स के लक्षण को और एचआईवी वायरस को शरीर पूरी तरह से नुकसान पहुँचाने में कई महीने और यहाँ तक कि साल भी लग जाते हैं कि वह बीमार हो जाए।
एचआईवी के लक्षणों के बारे में अक्सर लोगों में बहुत सारी उलझन होती है। कई लोगों को लगता है कि एचआईवी होने पर तुरंत ही गंभीर लक्षण दिखाई देंगे, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है।
अक्सर, एचआईवी संक्रमण के शुरुआती चरण में फ्लू जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 2 से 6 सप्ताह के भीतर शुरू हो जाते हैं।कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
महिलाओं में एड्स के लक्षण उनके शारीरक और प्राकृतिक बदलाव से अनुमानित किए जाते है। जैसे की:
पुरुषों में एड्स के लक्षण उनके आंतरिक बदलाव से अनुमानित किए जाते है।
एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो पहले चिंपैंजी में था और फिर इंसानों में फैल गया। यह एक इंसान से दूसरे इंसान में कई तरीकों से फैल सकता है, जैसे कि:
दरअसल, जब कभी-भी किसी व्यक्ति को लगे कि वह जोखिम के संपर्क में आ गया है, तो वह 3 से 4 सपताह बाद एचआईवी टेस्ट के लिए जा सकता है। क्योंकि जब एचआईवी वायरस आपके शरीर में प्रवेश करता है तो विंडो पीरियड का प्रतिक्षा करना होता है, विंडो पीरियड वह समय होता है जब वायरस इंफेक्शन सतह पर आ जाते हैं। इससे पहले टेस्ट करवाने पर सटीक परिणाम नहीं मिल पाता है।
एचआईवी एक प्रकार का वायरस है, जो आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। यही वायरस आगे चलकर एड्स का कारण बनता है। जिससे बचने का एक मात्र उपाय एड्स के प्रति जागरूक रहना है। इसके सामान्य लक्षण आम फ्लू जैसे होते हैं, जैसे- बुखार, गले में खरास, ग्रंथियों में सूजन, ज्वाइंट पेन, थकान, इत्यादि। इसका मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध बनाना, एक ही इंजेक्शन का कई लोगों में प्रयोग करना, इत्यादि है।
पुरुषों में एचआईवी के लक्षणों में टेस्टिकल्स में दर्द, प्रोस्टेट ग्लैंड में सूजन, पेनिस क्षेत्र में सूजन, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और इनफर्टिलिटी जैसी समस्याएं शामिल हो सकती हैं। ये लक्षण समय के साथ विकसित होते हैं और उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
घर पर एचआईवी का सटीक पता लगाना मुश्किल है। कुछ होम टेस्ट किट उपलब्ध हैं, लेकिन इनकी सटीकता प्रयोगशाला परीक्षणों जितनी नहीं होती। यदि आपको लगता है कि आप एचआईवी के जोखिम में हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
महिलाओं में एचआईवी मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंधों से होता है। इसके अलावा, संक्रमित सुई साझा करने या संक्रमित रक्त चढ़ने से भी एचआईवी हो सकता है। गर्भवती महिला से बच्चे में भी एचआईवी संक्रमित हो सकता है।
एड्स एक बार संक्रमित होने पर होता है, बार-बार यौन संबंध बनाने से नहीं। एचआईवी वायरस एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद धीरे-धीरे बढ़ता है और अंततः एड्स का कारण बन सकता है।
कंडोम एचआईवी संक्रमण के खतरे को काफी कम कर देता है, लेकिन यह 100% सुरक्षित नहीं है। सही तरीके से इस्तेमाल किए जाने पर कंडोम एचआईवी संक्रमण से बचाने में बहुत प्रभावी होते हैं।
एड्स होने की सबसे महत्वपूर्ण वजह होती है – एचआईवी वायरस का संक्रमण। यह वायरस एक बार शरीर में प्रवेश कर जाए तो उसके बाद यह मनुष्य के शरीर को खोखला बना देता है।
यदि आपको लगता है कि आप एचआईवी के संपर्क में आए हैं, तो जितनी जल्दी हो सके टेस्ट करवा लेना चाहिए। शरीर में एचआईवी एंटीबॉडी बनने में कुछ समय लगता है, तब तक आप डॉक्टर की सलाह ले सकते है।
एचआईवी के लक्षणों से संक्रमित व्यक्ति की जीवन की सीमा कई एचआईवी के कारणों पर निर्भर करती है, जैसे कि इलाज की उपलब्धता, व्यक्ति की समग्र स्वास्थ्य स्थिति और जीवनशैली। आजकल उपलब्ध एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के कारण एचआईवी संक्रमित व्यक्ति लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
हाँ, एचआईवी से बचा जा सकता है। सुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुईयों का प्रयोग न करना, और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना एचआईवी से बचाव के महत्वपूर्ण तरीके हैं।
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